samas ki paribhasha bhed udaharan| समास की परिभाषा भेद और उदाहरण | samas in Hindi

samas ki paribhasha bhed udaharan

samas ki paribhasha bhed udaharan: समास (samas in Hindi) आज के इस लेख में हम आपको समास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। 


इसमें हम बताएंगे की हिंदी व्याकरण में समास की परिभाषा क्या होती है और इसके कितने प्रकार होते है और उन प्रकारो के अंदर और कितने तरह के प्रकार होते है। 


इन सभी जानकारी को घर बैठे प्राप्त करने के लिए आप इस लेख को पूरा पढ़े और जाने की समास क्या होती है (what is samas in hindi)।


samas



समास की परिभाषा (samas ki paribasha)

दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को समास कहते है। समास का अर्थ होता है संक्षिप्त  या संग्रह अर्थात दो शब्दों को मिलाकर एक कर देना। समास में दो शब्दों के मध्य का सम्बन्ध सूचक शब्द लुप्त हो जाता है।


दूसरे शब्दों में कहे तो समास वह क्रिया है जिसकी सहायता से कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा अर्थ प्रकट किया जा सके। किसी वाक्य को संक्षिप्त करना परन्तु अर्थपूर्ण रूप में समास कहलाता है।

 

उदाहरण :-

राजकुमार = राजा का कुमार      (" का "  विभक्ति का लोप )

माता - पिता = माता और पिता    (" और " शब्द का लोप )

त्रिलोक = तीन है जो लोक          (" है जो " का लोप )

हस्त से लिखित = हस्तलिखित

देश के लिए भक्ति = देशभक्ति

राजा का पुत्र = राजपुत्र

 

समस्त पद किसे कहते है

 

समास की रचना करने में दो या दो से अधिक पदों का प्रयोग होता है जिसमे पहले पद को पूर्व पद और दूसरे पद तो उत्तर पद कहते है, इन दोनों पदों को मिलाकर जो एक पद बनता है उसे समस्त पद सामासिक पद कहते है।

 

उदाहरण :-

रसोई के लिए घर =  रसोईघर 

माल के लिए गाड़ी =  मालगाड़ी

और इसी प्रकार -

गुणरहित

पापमुक्त

आत्मनिर्भर

सिरदर्द

नीलकमल

हथकड़ी  इत्यादि।

 

समास विग्रह किसे कहते है

किसी समस्त या सामासिक पद को उसके योजक और अव्यय पदों विभक्ति चिन्हो का परस्पर सम्बन्ध रखने वाले पदों के साथ में जब लिखा जाता है तो उस क्रिया को समास विग्रह कहते है।

या यु कहे की सामासिक पदों या शब्दों के बिच  छुपे हुए शब्दों को स्पष्ट रूप से दर्शाना समास विग्रह कहलाता है।

 

उदाहरण :-

हस्तलिखित = हस्त से लिखित

वनवास = वन में वास

रसोईघर = रसोई के लिए घर

मालगाड़ी =  माल के लिए गाड़ी

 

समास के के भेद (samas ke bhed)

समास के मुख्यतः छः भेद होते है जो की निम्नलिखित है

  • अव्ययीभाव समास
  • तत्पुरुष समास
  • कर्मधारय समास
  • द्विगु समास
  • द्वन्द समास
  • बहुब्रीहि समास

 

और अगर हम पदों की प्रधानता के आधार पर देखे तो समास के भेद कुछ इस प्रकार से है -

 

  • पूर्व पद प्रधान -  अव्ययीभाव समास
  • उत्तर पद प्रधान -  तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास
  • दोनों पद प्रधान -  द्वन्द समास
  • दोनों पद अप्रधान -  बहुब्रीहि समास  (इसमें कोई तीसरा पद प्रधान होता है)

 

अव्ययीभाव समास

यदि समास में एक पद संज्ञा और एक पद अव्यय होता है तो उसे अव्ययीभाव समास कहते है।


ऐसी समास जिसका पूर्व पद अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते है। किसी समास में संज्ञा या अव्यय पद की पुनरावृत्ति होने पर भी उसे अव्ययीभाव समास कहते है। 


उदाहरण :-

प्रति + दिन = प्रतिदिन (अव्यय - प्रति, संज्ञा - दिन)

दिन + भर = दिनभर  (अव्यय - भर, संज्ञा दिन)

यथा + शक्ति = यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार)

रात ही रात में = रातों-रात

बेलगाम = लगाम के बिना

विवाह के उपरांत = विवाहोपरांत

 

तत्पुरुष समास

यदि समास में दोनों पद संज्ञा हो किन्तु उत्तर  (द्वितीय) पद प्रधान हो तो उसे तत्पुरुष समास कहते है।


इस समास में उत्तर पद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बिच में कारक विभक्ति का लोप हो वहां पर तत्पुरुष समास होता है।

 

उदाहरण :-

राजकुमार - राजा का कुमार

रसोईघर - रसोई के लिए घर

राजमहल - राजा का महल

उत्तरदायी – उत्तर देने वाला

वनेचर – वन में विचरण करने वाला

कविराज = कवियों में राजा

आपबीती = अपने पर बीती हुई

 

तत्पुरुष समास के प्रकार

हिंदी व्याकरण में तत्पुरुष समास छः प्रकार होते है

  • कर्म तत्पुरुष समास  (Karam Tatpurush)
  • करण तत्पुरुष समास  (Karan Tatpurush)
  • सम्प्रदान तत्पुरुष समास  (Sampradan Tatpurush)
  • अपादान तत्पुरुष समास  (Apadan Tatpurush)
  • सम्बंध तत्पुरुष समास   (Sambandh Tatpurush)
  • अधिकरण तत्पुरुष समास  (Adhikaran Tatpurush)

 

कर्मधारय समास

इस समास का उत्तर पद प्रधान होता है। यदि समास में कोई एक पद संज्ञा और दूसरा पद विशेषण होता है तो उसे कर्मधारय समास कहते है। यह समास विशेषण - विशेष्य या उपमेय - उपमान से मिलकर बनती है।


कर्मधारय समास को समानाधिकरण समास के नाम से भी जानते है। 

 

उदाहरण:-

नीलकमल – नीला है जो कमल

पीताम्बर – पीला है जो अम्बर

चन्द्रमुखी – चन्द्र के समान मुख वाली

महात्मा – महान है जो आत्मा

घनश्याम – घन है जो श्याम

महेश्वर – महान है जो ईश्वर

महासागर – महान है जो सागर

नवयुवक – नव है जो युवक

नीलगगन – नीला है जो गगन

 

द्विगु समास

यदि समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण और दूसरा पद संज्ञा हो तो उसे द्विगु समास कहते है। द्विगु समास का शब्द द्विगु खुद अपने आप में ही इसका एक उदाहरण है।


 ऐसी समास जिसका पूर्व पद संख्या वाचक हो उसे द्विगु समास कहते है।

 

उदाहरण:-

द्विगु – दो गायों का समाहार

नवग्रह – नौ ग्रहो का समूह

पंचतंत्र – पांच तंत्रों का समाहार

सप्तदीप – सात दीपों का समूह

त्रिभुवन – तीन भुवनों का समूह

चौगुना – चार गुना

त्रिभुज – तीन भुजाओ का समाहार

तिराहा – तीन राहों का समाहार

नवरात्र – नौ रात्रियों का समाहार

त्रिरात्र – तीन रात्रियों का समाहार

 

द्वन्द समास

इस समास में दोनों पद प्रधान होते है। जिस समास में दोनों पद पर संज्ञा हो और दोनों ही पद प्रधान होते हो, उसे द्वन्द समास कहते है। 

इस समास में दोनों ही पदों के अर्थ महत्वपूर्ण होते है। इस समास का विग्रह करने के लिए अथवा, या, और,  का प्रयोग किया जाता है। 

 

उदाहरण:-

माता-पिता = माता और पिता

दूध-रोटी = दूध और रोटी

जला-भूना = जला और भूना

जलवायु = जल और वायु

भाई-बहन = भाई और बहन

पाप-पुण्य = पाप और पुण्य

अपना-पराया = अपना या पराया

भला-बुरा = भला या बुरा

जीवन-मरण = जीवन या मरण

 

द्वन्द समास के प्रकार

द्वन्द समास के तीन प्रकार होते है

  • इतरेतर द्वंद्व समास (Itretar Dvandva Samas)
  • विकल्प द्वंद्व समास (Samahar Dvandva Samas)
  • समाहार द्वंद्व समास (Vikalp Dvandva Samas)

 

बहुब्रीहि समास

ऐसी समास जिसमे अन्य पद प्रधान होता है उसे बहुब्रीहि समास कहते है। इस समास में ना तो पूर्व पद और ना ही उत्तर पद प्रधान  होता है इसमें कोई तीसरा पद ही प्रधान रहता है।  


बहुब्रीहि समास का समास विग्रह करते समय वाला है, जो, जिसका, जिसके, जिसकी, आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है

 

उदाहरण:-

वीणापाणि = वीणा है पाणि में जिसके   (सरस्वती)

चक्रपाणि = चक्र है पाणि में जिसके  (विष्णु)

शूलपाणि =  शूल है पाणि में जिसके  (शिव)

त्रिनेत्र = तीन नेत्र है जिसके   (शिव)

लम्बोदर = लम्बा उदर है जिनका  (गणेशजी)

गिरिधर = गिरि को धारण करने वाले (श्रीकृष्ण)

नीलकण्ठ = नीला कण्ठ है जिनका (शिवजी)

मक्खीचूस = बहुत कंजूस व्यक्ति



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