karmadharaya samas | कर्मधारय समास किसे कहते है परिभाषा और उदाहरण

Karmadharaya Samas (कर्मधारय समास)

 

Karmadharaya Samas: आज के इस लेख में हम समास के एक भेद कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) के बारे में बताने वाले है। मुख्य रूप से समास के 6 भेद होते है और उसी में से एक है कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)।

 

इस लेख में हम आपको कर्मधारय समास के उदाहरण (karmadharaya samas ke udaharan), कर्मधारय समास किसे कहते है (karmadharaya samas kise kahate hain) या उसकी परिभाषा (karmadharaya samas ki paribhasha)

के बारे में बताने वाले है।


Karmadharaya Samas


कर्मधारय समास किसे कहते है (karmadharaya samas kise kahate hain)

 

यदि किसी समास में एक पद संज्ञा और दूसरा विशेषण होता है तो उसे कर्मधारय समास कहते है। इस समास में उत्तर पद प्रधान होता है।

कर्मधारय समास को समानाधिकरण समास भी कहा जाता है।


NOTE: समास की सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करे। 

समास की परिभाषा भेद और उदाहरण 

 

कर्मधारय समास में जो विशेषण होता है वो गुणवाचक विशेषण, असंख्यावाचक विशेषण और परिमाणवाचक विशेषण होता है, और इनका योग विशेष्य के साथ में होता है।

 

विशेषण–विशेष्य पद

 

विशेषण - जो विशेषता बताये 

विशेष्य - जिसकी विशेषता बताई जाये

 

उदाहरण :-

  • घन है जो श्याम - घनश्याम
  • पीत है जी अम्बर - पीताम्बर
  • महान है जो आत्मा - महात्मा
  • महान है जो देव - महादेव
  • शुभ है जो आगमन - शुभागमन
  • नीला है जो कमल - नीलकमल
  • महान है जो पुरुष - महापुरुष
  • महान है जो राजा - महाराजा

 

उपमेय-उपमान पद

 

उपमान - जिससे या जिसकी उपमा दी जाए

उपमेय - जिसेको उपमा दी जाए

 

 उदाहरण :-

  • प्राणों के समान प्रिय - प्राणप्रिय
  • कमल के समान नयन - कमलनयन
  • कुसुम के समान कोमल - कुसुमकोमल
  • दंड के समान भुजा - भुजदंड
  • चंद्र के समान मुख - चंद्रमुख
  • वज्र के समान है जो कठोर - वज्रकठोर
  • कमल के समान है जो मुख – मुखकमल

 

उपसर्ग युक्त पद

 

  • सही है जो परामर्श - सत्परामर्श
  • कुत्सित है जो अन्न - कदन्न

 

कर्मधारय समास के उदाहरण (karmadharaya samas ke udaharan)

 

  • महान है जो ईश्वर - महेश्वर
  • महान है जो सागर - महासागर
  • नीला है जो गगन - नीलगगन
  • सधर्म सत् है जो धर्म - सदधर्म  
  • भला है जो मानस - भलामानस
  • सत है जो जन - सज्जन
  • प्रधान है जो मंत्री - प्रधानमंत्री
  •  काली है जो मिर्च - कालीमिर्च
  • कायर है जो पुरुष - कापुरुष
  •  बुरी है जो आत्मा - दुरात्मा
  •  महान है जो वीर - महावीर
  • मन रूपी मंदिर - मनमंदिर
  • कृष्ण है हो सर्प - कृष्णसर्प
  • जो आधा मरा हुआ है - अधमरा
  • अरविन्द के समान है जो मुख - मुखारविन्द

 

कर्मधारय और द्विगु समास में अंतर

 

दोनों समास में एक पद संज्ञा और एक पद विशेषण होता है  परन्तु जब संख्या विशेषण के रूप में आये तो द्विगु समास होता है अन्यथा कर्मधारय समास होगा।

 

उदाहरण :-

  • पंच  +  वटी   =  पंचवटी    (पंच = पाँच संख्या = द्विगु)
  • नील   +  गगन    =  नीलगगन     (नील सामान्य विशेषण है = कर्मधारय)





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