purv kalik kriya (पूर्व कालिक क्रिया)
purv kalik kriya: आज के इस लेख में हम आपको पूर्व कालिक क्रिया क्रिया के बारे में बताने वाले है। पूर्व कालिक क्रिया क्रिया का एक भेद है।
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते है सकर्मक और अकर्मक। और प्रयोग के आधार पर क्रिया के तीन भेद होते है पूर्वकालिक क्रिया, संज्ञार्थक क्रिया और प्रेरणार्थक क्रिया।
इस लेख में हम क्रिया के प्रयोग के आधार पर एक भेद के बारे में बताने वाले है।
पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते है (purv kalik kriya kise kehte hai)
जब कर्ता एक कार्य को समाप्त कर दूसरा कार्य शुरू करता है तो क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।
सरम भाषा में पूर्वकालिक का अर्थ देखे तो वो होता है जो पहले से हुआ है। इस क्रिया के ऊपर वचन, लिंग, काल और पुरुष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
जैसे :-
- राम पढ़ - लिखकर डॉक्टर बना।
यहाँ इस वाक्य में डॉक्टर बनने के पूर्व पढ़ने - लिखने का कार्य हो चूका है। अतः पूर्वकालिक क्रिया है।
- राधा चाय बना कर बिस्कुट लेने गयी।
इस वाक्य में बिस्कुट लेने के पूर्व चाय बनाने का कार्य पूरा हो चूका है। अतः पूर्वकालिक क्रिया है।
- राजेश खेत में दवाई डाल कर खाना खाने जायेगा।
प्रयुक्ति वाक्य में दवाई डालने का कार्य पूर्ण हो चूका है उसके बाद में खाना खाया जायेगा। अतः पूर्वकालिक क्रिया है।
पूर्व कालिक क्रिया के उदाहरण (purv kalik kriya ke udaharan)
- राधा खाना बनाकर मंदिर गयी।
- राजू शराब पीकर घर गया।
- रीमा नहाकर मंदिर जाएगी।
- रवि खाना बनाकर सो गया।
- सिद्धार्थ क्रिकेट खेलने गया।
- प्रेम दौड़कर जायेगा।
- लड़कियाँ अपना कार्य पूर्ण करके जाएगी।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में आप देख सकते है की पहले एक क्रिया हो रही है फिर उसके बाद दूसरी क्रिया की जा रही है।
और पूर्वकालिक क्रिया की परिभाषा से हम जानते है की " जब कर्ता एक कार्य को समाप्त कर दूसरा कार्य शुरू करता है तो क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। "
ऊपर दिए गए सभी उदाहरण पूर्वकालिक क्रिया के उदाहरण है।
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