sanyukt kriya | संयुक्त क्रिया किसे कहते है परिभाषा भेद और उदाहरण

sanyukt kriya (संयुक्त क्रिया)

sanyukt kriya: आज के लेख में हम आपको संयुक्त क्रिया के बारे में बताने वाले है। इस लेख में हम देखेंगे संक्युत क्रिया की परिभाषा (sanyukt kriya kise kahate hain) संयुक्त क्रिया के भेद और संयुक्त क्रिया के उदाहरण (sanyukt kriya examples) के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देंगे।

 

अगर यह टॉपिक आपके सिलेबस में है और आप इसे बहुत अछि तरह से पढ़ना और समझना चाहते है तो तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।


sanyukt kriya


sanyukt kriya kise kahate hain (संयुक्त क्रिया किसे कहते है)

 

ऐसी क्रिया जो अलग अलग अर्थ वाली क्रिया के साथ मिल कर एक नयी प्रभावशाली  निर्माण करती है और नयी बनी हुई क्रिया को ही संयुक्त क्रिया कहते है।

 

या दूसरे शब्दों में कहे तो जब दो क्रिया आपस में मिलकर एक नयी क्रिया का निर्माण करती है तो उस नयी क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते है।

 

संयुक्त क्रियाएं सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है। संयुक्त क्रिया को रंजक क्रिया के नाम से भी जाना जाता है।

 

उदाहरण :-


  • राधा को रोना आ गया।

 

उपरोक्त वाक्य में ' रोना '  मुख्य क्रिया है और ' गया ' सहायक क्रिया है और ये दोनों क्रिया से मिलकर ' आना ' संयुक्त क्रिया बन रही है। अतः यह वाक्य संयुक्त क्रिया का उदाहरण है। 

 

संयुक्त क्रिया के उदाहरण (Sanyukt Kriya Ke Udaharan)

  • वह पढ़ चुकी  है।
  • रमा स्कूल चली गई।
  • राधिका ने लस्सी पी लिया।
  • तुम रामायण पढ़ने लगे थे।
  • सूर्यकांत चाय पी रहा है।
  • माता जी ने भोजन कर लिया है।
  • राधे स्टेडियम पहुँच चुका होगा।
  • रवि चाय पी चुका था।
  • राजू संस्कृत बोल सकता है।
  • सोहन नाचने लगा।

 

(Sanyukt Kriya Ke Bhed) संयुक्त क्रिया के भेद

 

हिंदी भाषा के अनुसार संयुक्त क्रिया के कुल 15 होते है जो की निम्नलिखित है :-

  • आरंभबोधक संयुक्त क्रिया
  • अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया
  • नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया
  • अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया
  • तत्परताबोधक संयुक्त क्रिया
  • अभ्यासबोधक संयुक्त क्रिया
  • शक्तिबोधक संयुक्त क्रिया
  • अवधारणबोधक संयुक्त क्रिया
  • इच्छाबोधक संयुक्त क्रिया
  • पूर्णताबोधक संयुक्त क्रिया
  • निरंतरताबोधक संयुक्त क्रिया
  • योग्यताबोधक संयुक्त क्रिया
  • पुनरुक्त संयुक्त क्रिया
  • निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया
  • नामबोधक संयुक्त क्रिया

 

आरंभबोधक संयुक्त क्रिया

ऐसी संयुक्त क्रिया या संयुक्त क्रिया का ऐसा रूप जिससे किसी क्रिया के आरम्भ होने का बोध होता है उसे आरंभबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • राम पढ़ने लगा।
  • राधा काम करने लगी।
  • सुमित खेलने लगा।

 

अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का ऐसा रूप जिससे किसी कार्य को करने की अनुमति प्राप्त करने का बोध हो उसे अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • उसे जयपुर जाने दो।
  • रवि को पढाई करने दो।
  • राधा को बोलने दो।

 

नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया

नित्यता बोधक ऐसी संयुक्त क्रिया है जिसके माध्यम से किसी कार्य का नित्यता या नियम से होना या बंद होने का बोध होता है उसे नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।

इस क्रिया में वचन और लिंग विशेष्य के अनुसार बदलते रहते है।


उदाहरण :-

  • सीमा पढ़ती रहती है।
  • वर्षा कबि कबि होती रहती है।
  • राजू बोल रहा है।

 

अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का ऐसा रूप जिससे प्राप्त करने का बोध उस संयुक्त क्रिया को अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • रात को मैं बहुत मुश्किल से सो पायी।
  • मेरी बात रमेश से ना होने पाई।
  • जल्दी के कारण मैं खाना नहीं खा पाया।

 

तत्परताबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का ऐसा रूप जो की अकर्मक क्रिया के भूतकाल कृदंत में 'जाना' क्रिया के जोड़ने से बनता है उसे तत्परताबोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं।


उदाहरण :-

  • बीमारी के कारण वह बहुत तकलीफ में था।
  • लड़का आई जाता है।

 

अभ्यासबोधक संयुक्त क्रिया

अभ्यास बोधक ऐसी कक्रियाएं है जिनसे अभ्यास करने का बोध होते है उसे अभ्यासबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • रमेश  पढ़ा करता है।
  • डुग्गू खेला करता है।
  • तुम गाना गाया करते हो।

 

शक्तिबोधक संयुक्त क्रिया

शक्तिबोधक संयुक्त क्रिया ऐसी क्रिया है जिन से किसी कार्य को करने की शक्ति का बोध होता है।


उदाहरण :-

  • प्रिया जा सकती है।
  • वीनू दौड़ सकता है।

 

अवधारणबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का वह रूप जिससे क्रिया के आगे बैठना, उठना, आना, देना, लेना, आदि प्रकार की क्रियाएँ जोड़ दी जाये तो उस क्रिया को अवधारणबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • यह पुस्तक राजू को देना है।

 

इच्छाबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का वह रूप जिसमे किसी कार्य को करने की इच्छा प्रकट हो रही हो उसे इच्छाबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • राधा और पढ़ना चाहती है।
  • वह अब घर जाना चाहत है।
  • बच्चा आइसक्रीम खाना चाहता है।

 

पूर्णताबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का वह रूप जिसमे किसी कार्य के पूर्ण हो जाने का भाव प्रकट हो रहा है वहा पर पूर्णताबोधक संयुक्त क्रिया होती है।


उदाहरण :-

  • किशोर खाना खा चूका है।
  • रमा स्कूल से आ चुकी है।

 

निरंतरताबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का ऐसा रूप जिसमे सकर्मक क्रिया के पूर्ण कृदंत के सामने या आगे 'जाना' क्रिया जोड़ दी जाती है वहाँ पर निरंतरताबोधक संयुक्त क्रिया होती है।


उदाहरण :-

  • लता यह सारे काम किए जाती है।
  • चलते जाओ।
  • बढ़ते जाओ।

 

योग्यताबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का वो रूप जिसमे अपूर्ण कृदंत के सामने या आगे 'बनना' क्रिया जोड़ दी जाती है वहाँ पर योग्यताबोधक संयुक्त क्रिया होती है या उसे योग्यताबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • मंथरा सीधे खड़े होकर चलते नहीं बनता।
  • राजी से बिना सहारे चलते नहीं बनता।

 

पुनरुक्त संयुक्त क्रिया

जब दो सामान अर्थ वाली या सामान ध्वनि वाली क्रिया का प्रयोग एक साथ किया जाता है तो उसे पुनरुक्त संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • पढ़ना लिखना।
  • करना धरना।
  • मिलना जुलना।
  • आना जाना।

 

निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया

संयुक्त क्रिया का ऐसा रूप जिसमे किसी कार्य का निश्चित होने का भाव प्रकट हो उसे निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया कहते है।


उदाहरण :-

  • श्याम बिच में ही बोल बैठी।

 

नामबोधक संयुक्त क्रिया

संज्ञा या विशेषण के साथ में क्रिया जोड़ने पर जो संयुक्त क्रिया बनती है उसे नामबोधक संयुक्त क्रिया कहते है। स्वीकार करना, याद होना, स्वीकार होना, सुनाई देना, दिखाई देना इत्यादि।


उदाहरण :-

  • लड़की दिखाई दी।
  • बच्चा दिखाई दिया।




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