viram chinh in hindi | जानिए विराम चिन्ह के प्रकार और प्रयोग

viram chinh in hindi (विराम चिन्ह इन हिंदी)

viram chinh in hindi : आज के इस लेख में हम हिंदी भाषा में प्रयोग किये जाने वाले विराम चिन्हो (punctuation marks) के बारे में विस्तार पूर्वक बात करेंगे। विराम चिन्हो (viram chinh in hindi) के नाम, प्रकार को विस्तारपूर्वक देखंगे।


विराम चिन्हो का प्रयोग हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषा में किया जाता है और ये बहुत महत्वपूर्ण होते है।


viram chinh

विराम चिन्हो के नाम (viram chinh in hindi)

राष्ट्र भाषा हिंदी में आजकल उसके विकास के साथ-साथ विराम चिन्हो की संख्या और प्रयोग बढ़ता जा रहा है।  प्रमुख विराम चिन्ह जिनका प्रयोग आजकल बहुतायत से  होता है, निम्नानुसार है -

 

  • पूर्ण विराम चिन्ह  (।)
  • अल्प विराम चिन्ह  (,)
  • अर्द्ध विराम चिन्ह  (;)
  • प्रश्नवाचक चिन्ह  (?)
  • विस्मयादिबोधक चिन्ह  (!)
  • उद्धरण चिन्ह  (” “)
  • योजक/ संयोजक चिन्ह  (-)
  • विवरण चिन्ह/ आदेश चिन्ह  (:—)
  • हंस पद  (^)
  • लाघव चिन्ह  (°)
  • तुल्यतासूचक चिन्ह/ बराबर सूचक चिन्ह  (=)
  • लोप सूचक चिन्ह  (…) 
  • कोष्ठक चिन्ह () [] {}

 

विराम चिह्न की परिभाषा

शाब्दिक अर्थ के अनुसार 'विराम' का अर्थ है रुकाव, ठहराव, अथवा विश्राम। बोलने में कही कम समय लगता है और कहीं ज्यादा। इसी दृष्टि से चिन्ह भी कम समय और अधिक समय के अनुसार अलग-अलग होते है।


बोलना एक विशिष्ट कला है, जिसका आवश्यक गुण है की सुनने वाला या सुनने  वाले के भाव को अच्छी तरह समझ सके। इसके लिए यह अनिवार्य है की बोलने वाला बीच-बीच में आवश्यकतानुसार कुछ-कुछ ठहरकर बोले। 


यही क्रम बोलने में होता भी है।  वह किसी पद, वाक्यांश या वाक्य को बोलते समय ठहरता जाता है। 


इस विश्राम को व्याकरण में 'विराम' कहते है। लिखते समय ऐसे स्थानों पर कुछ चिन्ह लगा  जाते है। इन चिन्हो को 'विराम चिह्न' कहते है।

 

विराम चिन्हो का प्रयोग हिंदी भाषा में (viram chinh in hindi)

  • विराम चिन्हो का प्रयोग करने से लेखक या वक्ता के भावो में स्पष्टता आती है जिससे सुनने वाला व्यक्ति बात को आसानी से समझ सके।
  • लेखन, वाक्य या भाषा  ठहराव, रुकाव लाने के लिए विराम चिन्हो का प्रयोग किया जाता है। 

 

विराम चिन्हो के प्रकार

Viram Chinh in hindi (विराम चिन्ह) के प्रकार निम्नलिखित है -

  • पूर्ण विराम चिन्ह  (।)
  • अल्प विराम चिन्ह  (,)
  • अर्द्ध विराम चिन्ह  (;)
  • प्रश्नवाचक चिन्ह  (?)
  • विस्मयादिबोधक चिन्ह  (!)
  • उद्धरण चिन्ह  (” “)
  • योजक/ संयोजक चिन्ह  (-)
  • विवरण चिन्ह/ आदेश चिन्ह  (:—)
  • हंस पद  (^)
  • लाघव चिन्ह  (°)
  • तुल्यतासूचक चिन्ह/ बराबर सूचक चिन्ह  (=)
  • लोप सूचक चिन्ह  (…) 
  • कोष्ठक चिन्ह () [] {}

पूर्ण विराम चिन्ह  (।)  (purn viram chinh) 

परिभाषा: वाक्य पूरा होने पर कुछ अधिक समय के लिए रुकना होता है, इसलिए प्रत्येक वाक्य की पूर्णता पर इस चिन्ह का प्रयोग करते है।


उदाहरण :-

बांग्लादेश आज़ाद हो गया।

कुछ लोग इस चिन्ह को पूर्ण विराम की जगह पर केवल 'विराम' कहते है और पूर्ण विराम के चिन्ह की जगह पर दो खड़ी लकीर (||) को मानते है। साधारणतः दो खड़ी लकीर वाले इस चिन्ह का प्रयोग पद्य की पूर्णता पर किया जाता है।


उदाहरण :-

  • देख्यो रूप अपार, मोहन सुन्दर श्याम को।
  • वह ब्रज राजकुमार, हिय-जिय नैनन में बस्यो।।

 

पूर्ण विराम चिन्ह (purn viram chinh) के उदाहरण

  • राधा अच्छी लड़की है।
  • राधा कृष्ण का प्रेम अमर है।
  • रवि बहुत अच्छी चाय बनता है।
  • मुझे पढ़ना बहुत पसंद है।

NOTE:- पूर्ण विराम चिन्ह की सम्पूर्ण जानकरी के लिए इस लिंक पर क्लिक करे। 

पूर्ण विराम चिन्ह(।) प्रयोग और परिभाषा

 

अल्प विराम चिन्ह  (,)  (alp Viram Chinh)

परिभाषा: यह चिन्ह उस स्थान पर लगाया जाता है, जहाँ पर वक्ता बहुत ही थोड़े समय के लिए रुकता है। अल्प शब्द से ही आप समझ सकते है थोड़े समय के लिए।

 

थोड़े समय के लिए रुकने के लिए जिस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है उस चिन्ह को  अल्प विराम चिन्ह कहते है। इस चिन्ह का प्रयोग हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषा में किया जाता है।


अल्प विराम चिन्ह (alp Viram Chinh) का प्रयोग


1. जब किसी वाक्य के भीतर एक ही प्रकार शब्दों हो तो उन्हें अलग अलग करने के लिए अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण :-

  • श्याम ने सेब, केले, पपीता आदि फल ख़रीदे।
  • प्रिया ने स्टेशनरी से कॉपी, बुक, पेन, पेंसिल आदि चीजे खरीदी।
  • शुभम ने मेरे से कार, ट्रक आदि खिलौने खरीदे।

 

2. वाक्य में उपस्थित उपवाक्यों को अलग करने के लिए अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण :-

  • पापा आये , खाना खाये और वापस काम पर चले गए।
  • हवा चली, ओले गिरे और पानी बरसा।

 

3. अवतरण चिन्ह (" ") के ठीक पहले ही अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।


 उदाहरण :-

  • अध्यापक बोले, "मुझे तुम पर गर्व है "
  • उसने मुझसे कहा, "मै तुमसे बहुत मोहब्बत करता हूँ "

 

4. समानाधिकरण शब्दों के बीच में भी अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण:-

  • राजा जनक की पुत्री सीता, राम की पत्नी थी।

 

5. कई बार सम्बोधन के बाद भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है।


उदहारण:-

  • सुरेश, तुम आज भी विद्यालय नहीं गए।
  • रमेश, तुम आज फिर देर से आये हो।
  • लाओ, यह सामान मुझे देदो।
  • रवि, अब तुम घर जा सकते हो।
  • पत्र में अभिवादन, भवदीय, आदि।

 

अल्प विराम चिन्ह  (,) के उदाहरण

  • हेमलता, शारदा, वेदश्री और जयश्री उज्जैन, देवास और महू होकर आज ही लौटी है।
  • वह आएगा, परन्तु रुकेगा नहीं। 
  • सीमा आयी, और नए कपडे पहन कर घूमने चली गयी।
  • तनु, तुम खेत जाकर ताज़ी सब्जियां ले आओ।
  • रूपा ने रश्मि से कहा, तुम यहाँ से चली जाओ।
  • बैठो, खाना खा कर ही जाना।

NOTE:- अल्प विराम चिन्ह की सम्पूर्ण जानकरी के लिए इस लिंक पर क्लिक करे। 

अल्प विराम चिन्ह ( , ) का प्रयोग और परिभाषा

 

अर्द्ध विराम चिन्ह  (;)  (ardh viram chinh)

परिभाषा: अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग उस समय किया जाता है, जबकि अल्प विराम से कुछ अधिक समय तक रुकना हो। इसका प्रयोग प्रायः दो स्वतंत्र उपवाक्यों को अलग करने के लिए किया जाता है।


किसी वाक्य के उपवाक्यों जिनको अल्प विराम से अलग किया गया हो उन्हें अलग करने के लिए अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है। 

 

अर्द्ध विराम चिन्ह (;) का प्रयोग (ardh viram chinh)

 

1. संयुक्त वाक्यों के उपवाक्य जिनका परस्पर कोई सम्बन्ध न हो उन्हें अलग करने के लिए अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण: -

  • उसने अपने फल बेचने के कई उपाय किये; लेकिन सब निष्फल हो गए। 

 

2. एक प्रधान उपवाक्य पर उपवाक्यों को अलग करने के लिए अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण: -

  • काले घने बादल आये, अन्धकार हुआ; और बहुत तेज बारिश होने लगी। 

 

3. अनेक उपाधियों को अलग अलग दर्शाने के लिए अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण: -

  • डॉ. प्रमोद महरा, बी.एस.सी., ऍम.एस.सी.; पी.एच.डी.; डी.लिट्.।

 

प्रश्नवाचक चिन्ह  (?) का प्रयोग (prashnvachak chinh)


1. ऐसे वाक्य जिन के द्वारा प्रश्न पूछे जाने का बोध होता है उनके अंत में प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण: -

  • वह कौन था ?
  • रवि के पिता का नाम क्या है ?
  • शिला की माता का नाम क्या है ?

 

2. अनिश्चय की स्थिति में भी प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण: -

  • आप संभवतः, बैंगलोर में रहते है ?

 

3. ऐसे वाक्य जिनमे प्रश्न आज्ञा के रूप में हो वहां पर भी प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण: -

  • महाराष्ट्र की राजधानी बताओ।

 

प्रश्नवाचक चिन्ह (prashnvachak chinh) के वाक्य

  • यह किसका घर है ?
  • वह कहाँ जा रहा है ?
  • तुम कहा रहते हो ?
  • तुम खाने में क्या पसंद करोगे ?
  • रमेश मुंबई से कब आएगा ?

 

विस्मयादिबोधक चिन्ह  (!)  (vismayadibodhak chinh)

परिभाषा: इस चिन्ह का प्रयोग विस्मयादि सूचक शब्दों वाक्यों के अंत में किया जाता है। सम्बोधन कारक की संज्ञा के अंत में भी इसे लगाया जाता है।


ख़ुशी, शोक, दुःख, घृणा, करुणा, भय, हर्ष इत्यादि भावो का बोध कराने वाले शब्दों या वाक्यों के अंत में विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

 

विस्मयादिबोधक चिन्ह  (!) के उदाहरण

  • अरे ! वहाँ कौन खड़ा है।
  • हाय ! इतना बुरा हुआ।
  • हे ईश्वर ! उसकी रक्षा करना।
  • ईश्वर करे, तुम्हारी सभी मनोकामना पूरी हो जाये !
  • अरे ! तुम तो बहुत बड़े हो गए हो।
  • वाह ! वाह ! क्या बात है।

 

उद्धरण चिन्ह या अवतरण चिन्ह (“ ”)

परिभाषा: किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की बात या कथन को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने के लिए उद्धरण चिन्ह  (“ ”) का प्रयोग किया जाता है।

 

अवतरण या उद्धरण चिन्ह (avtaran ya udharan chinh) के प्रकार

अवतरण चिन्ह के दो प्रकार होते हैं जो की निम्नलिखित है :-

  • इकहरा अवतरण चिन्ह
  • दुहरा अवतरण चिन्ह

 

इकहरा अवतरण चिन्ह (Ikhara Avtaran Chinh):

इकहरा अवतरण चिन्ह का प्रयोग किसी विशेष व्यक्ति, ग्रन्थ, नाम और उपनाम आदि को प्रकट करने के लिए किया जाता है। इकहरा अवतरण का संकेत चिन्ह (‘ ‘) है।

 

दुहरा अवतरण चिन्ह (Duhara Avtaran Chinh):

किसी बात या वाक्य को ज्यों का त्यों लिखने के लिए दुहरा अवतरण चिन्ह के प्रयोग किया जाता है। दुहरा अवतरण चिन्ह का संकेत (“ ”) होता है।

 

NOTE:- उद्धरण चिन्ह या अवतरण चिन्ह की सम्पूर्ण जानकरी के लिए इस लिंक पर क्लिक करे। उद्धरण चिन्ह की परिभाषा प्रकार और प्रयोग

 

योजक/ संयोजक चिन्ह  (-)

इसे सामासिक चिन्ह भी कहते है। इस चिन्ह का प्रयोग सामासिक शब्दों के मध्य में होता है।


उदाहरण :-

  • हे ! हर-हार-आहार-सुत, मैं विनवत हूँ तोय।
  • योजक/ संयोजक चिन्ह का प्रयोग

 

1. विलोम शब्दों के बीच में योजक/ संयोजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण :-

  • अपना-पराया।
  • दिन-रात।
  • सुख-दुःख।

 

2. समानार्थी शब्दों के बिच में योजक/ संयोजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण :-

  • पास-पास।
  • घर-घर।
  • अपना-अपना।
  • रात-रात।

NOTE:-  योजक/ संयोजक चिन्ह की सम्पूर्ण जानकरी के लिए इस लिंक पर क्लिक करे। 

yojak chinh in hindi

 

विवरण चिन्ह/ आदेश चिन्ह  (:—)

जब प्रश्न न पूछ कर सीधा आदेश दिया जाये या किसी चीज का विवरण माँगा जाये वहाँ पर विवरण चिन्ह या आदेश चिन्ह को लगाया जाता है। 


किसी चीज का विवरण प्रस्तुत करना होता है तो वहां पर वाक्य के अंत में विवरण चिन्ह या आदेश चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। 

 

विवरण चिन्ह के उदहारण

  • किन्ही पांच चीनी यात्रियों का नाम लिखिए :-
  • संज्ञा के प्रकार :-
  • निम्नलिखित की व्याख्या कीजिये :- सर्वनाम, विशेषण, संज्ञा।

 

हंस पद चिन्ह   (^)

इस चिन्ह का प्रयोग तब किया जाता है, जब कोई शब्द या बात वाक्य लिखते समय मध्य में छूट जाये। उस स्थिति में नीचे इस चिन्ह को लगाकर ऊपर वह शब्द लिख दिया जाता है। इसे विस्मरण चिन्ह भी बोलते है।


जब किसी वाक्य में कोई शब्द छूट जाता है तो इस चिन्ह का प्रयोग करके हम उसे पूरा कर सकते है। ये सभी चीजे हम बचपन से पढ़ते आ रहे है। 

 

लाघव चिन्ह  (°)

जब किसी प्रसिद्ध शब्द को पूरा न लिख कर संक्षेप में लिखा जाता है, तब उसका प्रारंभिक अक्षर लिखकर लाघव चिन्ह  (°) लगा दिया जाता है। 


इस चिन्ह से किसी शब्द को संक्षेप रूप में लिख सकते है इसलिए इसे संक्षेपसूचक चिन्ह भी कहते हैं।

उदाहरण :-

  • पंडित के लिए (पं.) ।
  • प्रोफेसर के लिए (प्रो.)।
  • डॉक्टर के लिए (डॉ.)। आदि

तुल्यतासूचक चिन्ह (=)

इस चिन्ह को बराबर सूचक चिन्ह भी कहते है। इसका प्रयोग समानता दर्शाने के लिए किया जाता है।


शब्दों या वाक्यों के बीच समानता दिखलाने के लिए तुल्यतासूचक चिन्ह या बराबर सूचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण :-

  • विद्या + आलय = विद्यालय।
  • तपः + वन = तपोवन।
  • पुन: + जन्म = पुनर्जन्म।
  • बल = शक्ति।
  • बिना = रहित।

 

लोप सूचक चिन्ह  (…) 

इन चिन्हो का प्रयोग तब होता है जब कोई लेखक किसी का उद्धरण देते समय कुछ अंश छोड़ना चाहता है।

इसका प्रयोग निम्नानुसार किया जाता है -

 

1. उस स्थिति में जब लेखक किसी लम्बे विवरण को छोड़कर आगे की बात लिखना चाहता है, तब वह चार-पांच ऐसे निशान लगा देता है।


उदाहरण :-

आग का वह दृश्य क्या था, सर्वस्व नाश की विभीषिका थी।  चारो ओर से लोग दौड़ रहे थे।XXXX सम्पूर्ण गाँव जलकर स्वाहा हो गया।

 

2. जब कुछ शब्द या वाक्य छोड़ने होते है, तो '……' इसका प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण:-

  • बम्बई ....... नगर है। 

 

कोष्ठक चिन्ह () [] {}

कोष्ठक के प्रयोग इस प्रकार से किया जाता है -


1. किसी विषय के क्रम को बताने के लिए अक्षरों या अंको के साथ इसका प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण:-

(क) व्यक्तिवाचक संख्या।

(ख) जातिवाचक संख्या।

(1) एशिया

(2) यूरोप

 

2. वाक्य के बिच किसी शब्द का अर्थ स्पष्ट करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण:-

हे कोन्तेय, (अर्जुन) तू कलेवयता (कायरता) को प्राप्त न हो।

 

3. नाटकों में अभिनय को प्रकट करने के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है। 


उदाहरण:-

महाराणा प्रताप - (क्रोध से) नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।


हिंदी विराम चिन्ह


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