kartri vachya (कर्तृ वाच्य)
kartri vachya: आज के इस लेख में हम आपको कर्तृ वाच्य की परिभाषा और उदाहरणों के बारे में बताने वाले है। भाव वाच्य क्रिया के वाच्यो का एक प्रकार है।
क्रिया के वाच्य कभी कर्म के अनुसार चलते है, कभी भाव के अनुसार तो कभी कर्ता के अनुसार के चलते है। तो आज के इस लेख में हम खास करके केवल और केवल कर्तृ वाच्य के बारे में बात करने वाले है।
अगर आप अपनी परीक्षा के अव्वल दर्जे से पास होना चाहते है तो इस लेख को जरूर पूरा और ध्यान से पढियेगा। या फिर आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो ये टॉपिक उसके लिए भी बहुत जरुरी है।
Kartri Vachya Ki Paribhasha ( कर्तृ वाच्य की परिभाषा )
कर्तृ वाच्य क्रिया का वह रूप है जो क्रिया का फल सीधे कर्ता पर पड़ना दर्शाता है।
या सरल भाषा में कहे तो ऐसे वाक्य जिनमे क्रिया कर्ता के अनुसार हो उसे कर्तृ वाच्य कहते है।
कर्तृ वाच्य सकर्मक और अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओ में होते है। ऐसे वाक्य जिनमे करता की प्रधानता हो वह पर कर्तृ वाच्य होता है।
उदाहरण :-
- राम ने रावण को मारा।
- मैं एक पत्र लिखता हूँ।
इन वाक्यों में कर्ता राम, मैं, वह प्रधान है उनके द्वारा क्रिया की जा रही है। अतः वाक्य कर्तृ वाच्य में है।
कर्तृ वाच्य के उदाहरण (Kartri Vachya Ke Udaharan)
- पूजा ने चाय पी।
- राजू पत्र लिखता है।
- गीता पुस्तक पढ़ती है।
- उसने कार खरीदी।
- हम साथ खाना खाते हैं।
- दिनेश दूध पीता है।
- बच्चों ने क्रिकेट खेला।
- घोडा दौड़ता है।
- श्री ने खाना खाया।
- शंकर ने पानी गर्म किया।
उपरोक्त उदाहरणों में लिखता, पढता, पीता, दौड़ता, आदि सभी क्रियाएँ और कर्ता पूजा, गीता, दिनेश, शंकर, आदि के अनुसार है।
अतः ये सभी वाक्य कर्तृ वाच्य है।
आशा करते है आपको कर्तृ वाच्य (Kartri Vachya, krit vachya)के बारे में दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और समझ भी क्योकि हमने इसे बिलकुल ही आम भाषा में आपके सामने प्रस्तुत किया है।
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