sandhi paribhasha prakar or udharan | संधि की परिभाषा प्रकार उदाहरण और नियम | Sandhi in Hindi

Sandhi Paribhasha Prakar or Udaharan | Sandhi in Hindi

 

Sandhi Paribhasha Prakar or Udaharan: आज के इस लेख में हम आपको संधि (Sandhi Paribhasha Prakar or Udaharan)के बारे में सम्पूर्ण और विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान करने वाले है। 


हिंदी व्याकरण का या एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है। संधि के तीन प्रकार होते है स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि और इन संधियों के भी और भेद होते है जो हम आपके साथ साझा करने वाले है।


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संधि किसे कहते है | Sandhi kise kehte hai

 

Sandhi ki paribasha: " दो वर्णों के मेल को संधि कहते हैं।" संधि शब्द सम् + धि इन दो वर्ण से मिलकर बनता है।


सरल शब्दों में कहे तो संधि का अर्थ होता है 'मेल' जब दो वर्ण आपस में मिल कर एक नए या किसी तीसरे शब्द का निर्माण करते है तो उसे संधि कहते है। संधि की इस पद्धति के द्वारा शब्दों की रचना होती है।

 

उदाहरण:-

 

  • हिम  +  आलय =  हिमालय   (स्वर का मेल )
  • तत्  +  लीन =  तल्लीन          (व्यंजन का मेल )
  • मनः  +  रथ =  मनोरथ           (विसर्ग का मेल )

 


संधि के उदाहरण | Sandhi Ke Udahran

 

  • विद्या + आलय = विद्यालय
  • सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
  • भाव + अर्थ = भावार्थ
  • आत्मा + उत्सर्ग = आत्मोत्सर्ग
  • लोक + उक्ति = लोकोक्ति
  • यथा + उचित = यथोचित
  • देव + आलय = देवालय
  • महा + ऋषि = महर्षि
  • यशः + इच्छा = यशइच्छ

 

 

संधि के भेद | Sandhi Ke Bhed

 

मुख्य रूप से संधि के तीन भेद होते है :-

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

 

स्वर संधि किसे कहते है | Swar Sandhi Kise Kahate Hain

 

परिभाषा : " दो स्वरों के मेल को स्वर संधि कहते है। " अर्थात जब दो स्वरों का मेल किया जाता है और इससे नए शब्द का निर्माण होता है उसे स्वर संधि कहते है।

 

हिंदी भाषा में कुल ग्यारह " अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ " स्वर होते है। स्वर संधि के पांच भेद होते है।

 

स्वर संधि के भेद | Swar Sandhi Ke Bhed

 

स्वर संधि के निम्नांकित पाँच प्रकार होते हैं -

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • वृद्धि संधि
  • यण संधि
  • अयादि संधि

 

दीर्घ संधि किसे कहते है - Dirgh Sandhi Kise Kahate Hain

 

जब दो समान/सजातीय स्वरों का मेल होता है तो बनने वाला स्वर दीर्घ स्वर कहलाता है। यदि 'अ' के बाद 'अ' 'इ' के बाद 'ई' अर्थात् किसी ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद उसी ह्रस्व या दीर्घ स्वर की आवृत्ति हो तो वहाँ दीर्घ स्वर संधि होती है।

 

उदाहरण:-

 

  • विद्या + आलय = विद्यालय     (आ + आ= आ)
  • गिरि +  ईश = गिरीश            (इ + ई= ई)
  • भानु + उदय = भानुदाय        (उ + उ = ऊ)
  • काम + अयनी = कामायनी   
  • स + अवधान = सावधान
  • रवि + इंद्र = रविन्द्र
  • पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
  • भू + उर्जित = भुर्जित

 

गुण स्वर संधि किसे कहते है - Gun Sandhi Kise Kahate Hain

 

('अ' 'आ' के बाद 'इ' 'ऊ' 'ऋ' स्वर)

यदि 'अ' या 'आ' के बाद इ, उ और ऋ का मेल हो तो वहाँ गुण स्वर संधि होती है।

 

उदाहरण:-

 

  • महा + इन्द्र = महेन्द्र (आ + इ = ए )
  • देव + ऋषि = देवर्षि  (अ + ऋ =अर )
  • कार्य + उपरांत = कार्योपरांत (अ + उ =औ )
  • देव + इन्द्र= देवन्द्र (अ + इ= ए )
  • चन्द्र + उदय= चन्द्रोदय (अ + उ= ओ )
  • महा + ऋषि= महर्षि (आ + ऋ= अर् )
  • महा + उत्स्व= महोत्स्व (आ + उ= ओ )

 

वृद्धि संधि किसे कहते है - Vridhi Sandhi Kise Kahate Hain

 

(अ, आ, के बाद ए, ऐ, ओ, औ )

'अ' या 'आ' के बाद ए, ऐ, ओ, औ का मेल हो तो 'वृद्धि स्वर संधि' होती है।

 

उदाहरण:-

 

  • सदा + एव = सदैव    (अ + ए=ए )
  • महा + औषधि= महौषधि  (आ  + औ=औ )
  • मत + ऐक्य = मतैक्य  (अ + ऐ =ऐ )
  • महा + ऐश्र्वर्य=महैश्र्वर्य (आ + ए=ऐ )
  • महा + औषध =महौषध (आ + औ =औ )
  • एक + एक =एकैक (अ + ए =ऐ )
  • परम + ओजस्वी =परमौजस्वी (अ + ओ =औ )

 

यण संधि किसे कहते है - Yan Sandhi Kise Kahate Hain

 

(इ, उ, ऋ के बाद कोई असमान स्वर)

'इ', 'इ', 'उ', 'ऋ' के बाद कोई अन्य स्वर हो तो 'यण स्वर संधि' होती है।

 

उदाहरण:-

 

  • यदि + अपि = यद्यपि  (इ + अ= य )
  • इति + आदि = इत्यादि (इ + आ= या)
  • सु + आगत = स्वागत (उ + आ= वा)
  • गुरु + ओदन= गुवौंदन (उ + ओ = वो )
  • अनु + एषण= अन्वेषण (उ + ए= वे )
  • अति + उत्तम= अत्युत्तम (इ + उ= यु )
  • अनु + एषण= अन्वेषण (उ + ए= वे )
  • मधु + आलय= मध्वालय (उ + आ= वा )

 

अयादि संधि किसे कहते है - Ayadi Sandhi Kise Kahate Hain

 

(ए. ओ, के परे असमान स्वर)

जब ए. ऐ, ओ, औ के बाद कोई अन्य स्वर हो तो वहाँ 'अयादि स्वर संधि' होती है।

 

उदाहरण:-

 

  • नौ + इक = नाविक (औ + इ =वि)
  • पौ + अन = पवन (औ + अ =व )
  • गै + अक = गायक (ए + अ=आय)
  • भो + अन= भवन  (ओ + अ= व)
  • ने + अन= नयन (ए + अ= य )

 

व्यंजन संधि किसे कहते है | Vyanjan Sandhi Kise Kehte Hai

 

परिभाषा: " दो व्यंजनों या स्वर-व्यंजन के मेल को व्यंजन संधि कहते हैं। " अर्थात जब व्यंजन के साथ में व्यंजन या स्वर का मेल होता है और उससे जो विकार उत्पन्न होता है उसे व्यंजन संधि कहते है।

 

व्यंजन संधि के उदाहरण | vyanjan sandhi ke udaharan

 

  • सत् + आचार = सदाचार
  • जगत् + ईश = जगदीश
  • दिक् + अम्बर = दिगम्बर
  • उत् + घाटन = उद्घाटन
  • अच् + अन्त = अजन्त
  • अलम् + कार = अलंकार
  • वाक् + ईश्वरी = वागीश्वरी
  • षट् + आनन = षडानन

 

व्यंजन संधि के प्रमुख नियम | Rules of vyanjan sandhi

 

नियम (1)

यदि कू, च्, टू. पू. त् के बाद इन्हीं के वर्ग का तीसरा अक्षर हो तो ये वर्ण तीसरे अक्षर में बदल जाते हैं।

 

उदाहरण:-

 

  • दिक् + गज = दिग्गज ( क् + ग = ग्)
  • जगत् + ईश = जगदीश ( त् + ई = ग)
  • वाक् + ईश = वागीश (क् + ई =गी)

 

नियम (2)

क्. च्, ट्, प् के बाद 'न', 'म' सानुनासिक हो तो वे अपने पाँचवे शब्द 'ड' णू, नू में बदल जाते हैं।

 

उदाहरण:-

 

  • जगत् + नाथ = जगन्नाथ ( त् + न = न्)
  • तत् + मय = 'तन्मय' (तत् + मय = तन्मय)

 

नियम (3)

तू द् के बाद श हो तो तू दू = च और श = छ हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र (त् + शा = च्छा)
  • उत् + श्वास = उच्छवास (त् + श् = च्छ )

 

नियम (4)

यदि किसी स्वर के बाद 'छ' हो तो 'च्छ' हो जाता है ।

 

उदाहरण:-

 

  • आ + छादन = आच्छादन ( आ + छा = च्छा)
  • परि + छेद = परिच्छेद (इ + छ = च्छ)

 

नियम (5)

यदि 'म्' के बाद 'क्', 'चू', 'टू', 'त्', 'पू' वर्ग का कोई भी वर्ण हो तो वह उसी वर्ण का पंचम अक्षर बन जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • सम् + कल्प = संकल्प (म् + क = ङ)
  • सम् + तान = संतान (म् + त =न्)

 

नियम (6)

यदि 'तू' के आगे ग, घ, द, ध, ब, भ अथवा य, र, ल, व हो तो त् के स्थान में 'टू' हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • उत् + गम = उद्गम (त् + ग = द्)
  • जगत् + ईश = जगदीश ( त् + ई = दी)

 

नियम (7)

यदि 'त' वर्ग (त, थ, द, ध, न) के बाद 'ल' हो तो 'ल्ल' हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • तत् + लीन= तल्लीन (त् + ल = ल्ल)
  • उद् + लास = उल्लास (द् + ल = ल्ल)

 


विसर्ग संधि किसे कहते है | Visarg Sandhi Kise Kahate Hain

 

परिभाषा: " विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल को 'विसर्ग' संधि' कहते हैं। "

 

विसर्ग संधि के उदाहरण | visarg sandhi ke udaharan

 

  • दुः + लभ = दुर्लभ  (: +ल = र्)
  • मनः + हर = मनोहर (: + इ = ओ)
  • मनः + प्रसाद = मनःप्रसाद
  • निः + सन्देह = निस्सन्देह
  • अधः + पतन = अधःपतन
  • नि: + आधार = निराधार
  • अन्तः + करण = अन्तःकरण
  • अधः+ गति= अधोगति
  • निः+ संतान= निस्संतान
  • मनः+ बल= मनोबल

 

विसर्ग संधि के नियम | Rules of visarg sandhi

 

नियम (1)

यदि विसर्ग (:) के पूर्व स्वर हो और विसर्ग के बाद किसी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण, य, र, ल, व, हया अन्य स्वर हो तो विसर्ग (:) का 'र' हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • निः + धन = निर्धन (: + ध = र्ध)
  • निः + मम = निर्मम (: + म = र्म)

 

नियम (2)

यदि विसर्ग के पूर्व 'इ' 'उ' हो और आगे 'क', 'ख', 'र', 'प', 'थ', 'फ' हो तो विसर्ग का 'ष' हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • निः + फल = निष्फल ( + फ = एक)
  • निः + कपट = निष्कपट (: + क = ष्क)

 

नियम (3)

यदि विसर्ग के पूर्व 'र' हो तो विसर्ग (:) का लोप होकर पूर्व का ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • निः + रस = नीरस (निः + र= नी)
  • निः + रोग = नीरोग (निः + रो = नी)

 

नियम (4)

यदि विसर्ग के बाद 'क' 'ख' 'प' 'फ' आएँ तो विसर्ग ज्यों का त्यों रहता है।

 

उदाहरण:-

 

  • रजः + कण  = रजःकण (: + क् = :क)
  • दुः + शासन = दुःशासन (: + श = :श)

 

 

नियम (5)

विसर्ग के बाद 'श', 'स', 'ष' आएँ, तो विसर्ग ज्यों का त्यों रह जाता है 'या' उसके स्थान पर आगे का वर्ण आ जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • निः + संदेह = निःसंदेह/निस्संदेह  (विसर्ग का स्)
  • निः + संकोच = निःसंकोच/निस्संकोच  (विसर्ग का स्)

 

नियम (6)

यदि विसर्ग के बाद 'च' या 'छ' हो तो विसर्ग (:) का 'श' हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • निः + चल = निश्चल (: + च = श्)
  • हरिः + चंद्र = हरिश्चंद्र (: + च = श्)

 

नियम (7)

यदि विसर्ग के बाद 'त', 'थ' हो तो विसर्ग का 'स' हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • नमः + ते = नमस्ते (: + त =स्)
  • निः + तेज = निस्तेज (: + त =स्)

 

नियम (8)

विसर्ग के पूर्व 'अ' हो, उसके बाद 'अ' या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पांचवा वर्ण या य, र, ल, थ, ह हो तो विसर्ग 'ओ' हो जाता है।

 

उदाहरण:-

 

  • मनः + अनुकूल- मनोनुकूल (: + अ = ओ)
  • मनः + हर = मनोहर  (: + ह = ओ)

 

इसी प्रकार अनेक अन्य नियम है।



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