Sajatiya kriya (सजातीय क्रिया)
Sajatiya kriya: आज के इस लेख में हम आपको हम आपको सजातीय क्रिया से अवगत करवाने वाले है। जैसे की इसकी परिभाषा क्या है और साथ में उससे जुड़े कुछ उदाहरण भी साझा करेंगे।
अगर आप जानना चाहते है की सजातीय क्रिया किसे कहते है तो इस लेख को पूरा अवश्य पढ़े और समझे।
सजातीय क्रिया (Sajatiya kriya) की परिभाषा
जब किसी वाक्य में दिए गए कर्म और क्रिया एक ही धातु से बने होते है तो ऐसी क्रिया को या उसे सजातीय क्रिया कहते है।
साधारण भाषा में समझते है , किसी भी वाक्य में कर्ता , कर्म और क्रिया हमेशा मौजूद रहते है तभी वाक्य पूरा होता है ये कर्ता और कर्म सर्वनाम या संज्ञा शब्द होते है और क्रिया किसी न किसी धातु से बनी हुई होती है।
सजातीय क्रिया में वाक्य का कर्म सर्वनाम या संज्ञा से नहीं बल्कि किसी धातु से बने हुए होते है, और जहा पर भी ऐसा होता है तो उस क्रिया को सजातीय क्रिया कहते है।
सजातीय क्रिया के उदाहरण :
- राधा ने पढ़ाई पढ़ी।
- भारतीय सेना ने लड़ाई लड़ी।
- सिपाही ने चोर को बड़ी मार मारी।
- लड़की अच्छी चाल चलती है।
- प्रिया अनोखी बोली बोलती हैं।
- बच्चे खेल खेल रहे है।
- आकाश पढाई पढ़ रहा है।
- माला अच्छी लिखाई लिख रही है।
- भारतीय वायु सेना ने लड़ाई लड़ी।
अब आप इस उदाहरण में देख सकते है की कर्म लड़ाई है और क्रिया लड़ी और ये दोनों ही एक धातु लड़ से बनी हुए है। तो यह सजातीय क्रिया का उदाहरण हुआ।
- राधा ने पढ़ाई पढ़ी। और आकाश पढाई पढ़ रहा है।
इन दोनों वाक्यों में आप देख सकते है की पढाई कर्म है और क्रिया पढ़ी और ये दोनों ही एक धातु पढ़ से बनी हुए है। तो यह सजातीय क्रिया का उदाहरण हुआ।
आशा करते है आपको (sajatiya kriya) सजातीय क्रिया के बारे में दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी और समझ भी क्योकि हमने इसे बिलकुल ही आम भाषा में आपके सामने प्रस्तुत किया है।
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