Karak kise kahate hain paribasha | कारक किसे कहते है परिभाषा भेद और उदाहरण

Karak kise kahate hain paribasha

Karak kise kahate hain paribasha: आज के इस लेख में हम आपके लिए कारक की परिभाषा भेद और उदाहरण की जानकारी साझा करने जा रहे है। वाक्य रचना में कारक की एहम भूमिका होती है और इससे जुड़े प्रश्न हर कक्षा की परीक्षा में पूछे जाते है।


Karak kise kahate hain


कारक किसे कहते हैं ( परिभाषा )

किसी वाक्य में प्रयुक्त ऐसे शब्द जिनका क्रिया के साथ में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है ऐसे शब्दों को कारक कहते है। करक शब्द ' कृ ' धातु में ' अक ' प्रत्यय जुड़ने से बना है और इसका सरल भाषा में अर्थ होता है करने वाला।


कारक चिन्ह

हिंदी व्याकरण में कुल 8 कारक होते है।  कारक के जिस रूप से किसी संज्ञा या सर्वनाम का बोध होता है या जानकारी प्राप्त होती है उन्हें कारक कहते है।

कारक चिन्हो की सूचि अग्रलिखित है :-

कारक               कारक चिन्ह

कर्ता                     ने

कर्म                    को , ए , ऐं

करण                  से, के द्वारा

सम्प्र्दान               को , के लिए, ए , ऐं

अपादान                 से

सम्बन्ध                का , की , के, रा , री , रे, ना , नी ,  ने

अधिकरण            में , पर

सम्बोधन               ऐ ! , हे!, अरे ! , ओ !

 

कारक चिन्हो की पहचान

कारको को निम्न तरह से पहचाना जा सकता है

कर्ता    -      जो क्रिया को सम्पन्न कर रहा है या करने वाला

कर्म -             जो  क्रिया से प्रभावित हो रहा है या होने वाला

करण  -          क्रिया का साधन या उपकरण

सम्प्रदान -       किसी को कुछ देना या किसी के लिए कुछ कार्य करना।

अपादान -            जहाँ अलगाव के अलावे कारण, तुलना, भिन्नता,आदि का बोधक

संबंध -             जहाँ पर दो पदों का संबंध बताया जाए

अधिकरण -      क्रिया के आधार (स्थान, समय,) आदि का बोध कराना ।

सम्बोधन -          किसी को पुकारना या बुलाना


कारक के भेद

हिंदी व्याकरण में कारक के आठ भेद होते हैं, जो की निम्नलिखित हैं।

  • कर्ता कारक  (Nominative)
  • कर्म कारक  (Accurative)
  • करण कारक  (Instrumental)
  • सम्प्रदान कारक  (Dative)
  • अपादान कारक  (Ablative)
  • संबंध कारक    (Genitive)
  • अधिकरण कारक  (Locative)
  • सम्बोधन कारक   (Vocative)

 

कर्ता कारक  (Nominative)

ऐसा वाक्य जिससे हमे पता चलता है की क्रिया किस के द्वारा की जा रही है अर्थात क्रिया वाले का पता चले वहां पर कर्ता कारक होता है या कर्ता कारक कहलाता है ।

कारक चिन्ह – “ने”


उदाहरण :-

  • विजय ने गाना गाया ।
  • करण ने दरवाज़ा खोला।
  • राजु ने खाना खाया ।

 

कर्म कारक  (Accurative)

वाक्य में की जाने वाली क्रिया से जिस संज्ञा या सर्वनाम ( व्यक्ति , वस्तु ) पर किसी प्रकार का प्रभाव पड़े उसे कर्म कारक कहते है। 

कर्म कारक के दो भेद होते हैं।

  • प्रधान कर्म / मुख्य कर्म / निर्जीव कर्म
  • अप्रधान कर्म / गौण कर्म / सजीव कर्म

कारक चिन्ह – को , ए , ऐं


उदाहरण :-

  • रवि ने रेशमा को गाना सुनाने को कहा।
  • अध्यापक छात्र को पाठ पढ़ा रहा है।
  • राम पुस्तक पढ़ता है।
  • रमेश पत्र लिखेगा।

 

करण कारक  (Instrumental)

किसी वाक्य में कर्ता जिस मध्यम से क्रिया करता है या सहायता से क्रिया को करता है उस माध्यम को करण कारक कहते है।

यदि किसी वाक्य में शारीरिक विकलांगता पहचान का माध्यम होता है तो उस वाक्य में विकलांग अंग का नाम ही करण कारक होता है।

कारक चिन्ह – से, के द्वारा


उदाहरण :-

  • चाकू के द्वारा सेब काटा गया।
  • विनोद गेंद से खेल रहा था।
  • शंकर अँधा है।
  • रमेश ने हाथ से खाना खाया।
  • विनोद स्कूल बस से आता है।

 

सम्प्रदान कारक  (Dative)

किसी वाक्य में कर्ता जिसके लिए कार्य करता है या किसी को कुछ देता है उसे सम्प्रदान कारक कहते है।

सम्प्रदान कारक का सीधा और सरल अर्थ होता है किसी को कुछ देना या किसी के लिए कुछ कार्य करना।

कारक चिन्ह – को , के लिए, ए , ऐं


उदाहरण:-

  • अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पुस्तके लाया।
  • रवि के लिए पानी लाओ।
  • बच्चा दूध के लिए रो रहा था।
  • रमेश ने सुरेश को पुस्तक दी।

 

अपादान कारक  (Ablative)

जब किसी वाक्य में एक व्यक्ति या वस्तु का किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से अलग होने का बोध होता है उसे अपादान कारक कहते है।

कारक चिन्ह –    से


उदाहरण:-

  • पेड़ से फूल गिरता है।
  • प्रीतम घोड़े से गिर गया।
  • पेड़ से पत्ता गिर गया।
  • प्रणय से पुस्तक लो।

 

संबंध कारक    (Genitive)

इस कारक के नाम से ही आप समझ सकते है की यह सम्बन्ध को बता रहा है। ऐसे वाक्य जो किसी व्यक्ति या वस्तु जो किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु से सम्बन्ध रखता हो या कोई सम्बन्ध हो वहा पर संबंध कारक होता है।

कारक चिन्ह –    का , की , के, रा , री , रे, ना , नी ,  ने


उदाहरण :-

  • यह माया की बिल्ली है।
  • वह सीमा का घर है।
  • यह विनय का कुत्ता है।
  • ये कपडे प्रवीण के है।

 

अधिकरण कारक  (Locative)

अधिकरण कारक में क्रिया के घटित होने का समय , स्थान , या अवसर का बोध होता है। अर्थात ऐसे वाक्य जिनमे संज्ञा या सर्वनाम के के जिस रूप में क्रिया हो रही है उसके आधार का पता चलता है वहा पर अधिकरण कारक होता है।

कारक चिन्ह –  में , पर  


उदाहरण :-

  • वीर सैनिक युद्धभूमि में मार गया।
  • मैं सुबह पढ़ता हूँ।
  • हम बस में बैठे हैं।
  • मोर छत पर नाच रहा है।
  • में अपनी पुस्तक घर पर भूल गया।

 

सम्बोधन कारक   (Vocative)

सम्बोधन नाम से ही आप समझ गए होंगे की इसका अर्थ क्या है, किसी को पुकारना या बुलाना सम्बोधन कहलाता है। अर्थात संज्ञा या सर्वनाम को बुलाने या पुरकारने की क्रिया को सम्बोधन कारक कहते है।

कारक चिन्ह –  ऐ ! , हे!, अरे ! , ओ !


उदाहरण :-

  • हे ईश्वर हमारी रक्षा करो।
  • अरे जरा सुनते हो !
  • अरे बच्चों ! तुम इधर मत आना।
  • प्रेम ! तुम जयपुर कब जाओगे।    




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